Monday, December 9, 2024
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छत्तीसगढ़ में गजब हो गया! एक गांव में ठगों ने खोल दिया एसबीआई का नकली बैंक;लाखो लेकर लेकर नौकरी के नाम पर थमा दिए थे अपॉइंटमेंट लेटर, दंग कर देगी पूरी कहानी

ठगों ने खोल दी एसबीआई की फर्जी ब्रांच

छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले का है मामला

युवाओं को झेलने पड़ रहे ताने

ठगी के बाद कर्ज में डूबी जिंदगी

रायपुर/सक्ती- दिन 18 सितंबर 2024, जगह है छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले का छपोरा गांव, गांव में उत्साह का माहौल है और हो भी क्यों न? आखिर गांव में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच खुल रही है। गांव वालों की खुशी का तब और ठिकाना नहीं रहा, जब ऐलान किया गया कि बैंक की इस ब्रांच के लिए ‘मैनेजर’ से लेकर ‘कैशियर’ और स्टाफ की भर्ती स्थानीय स्तर से ही की जाएगी।

गांव के ही एक सज्जन से बैंक के लिए इमारत ली गई। बाकायदा उस पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का लोगो लगाया गया। रातों-रात खुली इस ब्रांच को देखकर लोग हैरान तो थे, लेकिन शक नहीं कर पा रहे थे। भर्ती की जानकारी गांव और आसपास के युवाओं को लगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने का सपना देख रहे युवाओं को इस भर्ती में घर, परिवार और समाज के साथ जिंदगी बेहतर करने का एक मौका दिखा। कबीरधाम, कोरबा, बालोद और सक्ती जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों से दर्जनों युवाओं ने खासकर लोक सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं ने आवेदन किया और इंटरव्यू प्रोसेस से गुजरे।

‘सिक्योरिटी डिपॉजिट’

खेल यहां से शुरु हुआ। इस भर्ती में आधा दर्जन का चयन हुआ – जिसमें एक ब्रांच मैनेजर के पद पर था। पहली शंका तब हुई जब उसे 6 लाख रुपए की ‘सिक्योरिटी डिपॉजिट’ देने को कहा गया, लेकिन एक अच्छी नौकरी मिलने की खुशी में उसने और उसके परिवार ने लोन ले लिया। बाकी लोगों से 2.5-2.5 लाख रुपए देने को कहा गया। ‘स्टाफ’ अपने नए बनाए गए केबिन में बैठ गए, लेकिन जल्दी ही उन्हें एहसास हुआ कि ब्रांच में कोई काम नहीं है। उनके कंप्यूटर किसी भी चीज़ में लॉग इन नहीं थे। रजिस्टर में लिखने के लिए कुछ भी नहीं था। उन्हें काम पर रखने वाले ‘बैंक साहब’ गायब हो चुके थे। ग्रामीणों ने सवाल पूछना शुरू कर दिया था। ‘खाता कब खुलेगा?’ वे सभी जानना चाहते थे।

‘सर्वर कहां हैं?’

एक दिन बैंक में एक कस्टमर आया और सर्वर और रिकॉर्ड के बारे में जानकारी ली। असल में वह भी एसबीआई की एक ब्रांच का मैनेजर था। अगले दिन पुलिस आ गई। चुने गए छह लोगों को जो डर था, वह सच साबित हुआ। उन्हें बुरी तरह ठगा गया था। असल में जिस ब्रांच में उनकी भर्ती मैनेजर, कैशियर और स्टाफ बनाकर कराई गई थी, वह पूरी की पूरी ब्रांच ही फर्जी थी। उन्होंने साहूकारों से हाई रेट पर लोन लिया और अपने मां-बाप की सेविंग में से ‘सिक्योरिटी डिपॉजिट’ की थी। इन परिवारों की दिवाली काली निकली। इनमें से अधिकांश ने शर्म के कारण अपने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है। दो लोग अपना घर बेच चुके हैं और पार्ट टाइम लेबर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।

कुछ सवालों के जवाब नहीं

परिवारों के अनुरोध का सम्मान करते हुए हमने पीड़ितों के नाम नहीं लिखे हैं। उनका कहना था, ‘हमें बहुत परेशान किया जा रहा है और हमें बहुत ताना मारा जा रहा है।’ जब उनसे पूछा गया कि वे शिक्षित होने और एसबीआई में भर्ती कैसे की जाती है, यह जानने के बावजूद कैसे जाल में फंस गए, तो दूसरी तरफ एक लंबी चुप्पी छा गई। पुलिस अधिकारियों ने इस बात का जवाब दिया। जांच दल के एक सदस्य ने कहा, ‘रैकेट चलाने वाले एक्सपर्ट होते हैं और बेरोजगार युवाओं की मानसिकता का फायदा उठाते हैं।’

पीड़ितों में से एक ने कहा: ‘मेरा पूरा परिवार सदमे में है। घर का माहौल ऐसा है जैसे किसी की मौत हो गई हो। एक महीने से ज़्यादा हो गया है, लेकिन हम बात नहीं करते। जब पुलिसवाले अंदर आए तो हमें एहसास हुआ कि क्या हुआ था। मैं अभी भी सुन्न महसूस करता हूं। मुझे नहीं पता कि इससे कैसे बाहर निकलूं।’ उसने कहा कि उसके पिता को नहीं पता कि उन लोगों का सामना कैसे करें जिनसे उसने 6 लाख रुपये चुकाने के लिए उधार लिया था।

एक और पीड़ित इस बारे में बात करने के लिए खुद को नहीं ला सका। उसकी बहन ने कहा: ‘गांवों में, जब किसी व्यक्ति को अच्छी नौकरी मिलती है, तो यह बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन जब हम उस नौकरी को खो देते हैं, तो यह और भी बुरा होता है। लेकिन धोखा दिया जाना और फिर मज़ाक उड़ाया जाना मौत जैसा लगता है। मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह कुछ ज़्यादा ही न कर दे।’

यह परिवार दूसरे गांव में किराए के घर में रहने चला गया है। एक और परिवार ने नौकरी के लिए अपनी खेती की ज़मीन बेच दी थी। पीड़ित ने कहा: ‘हम सभी पीएससी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन हम पढ़ाई पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।’ पीड़ितों में से एक के करीबी परिवार के सदस्य ने कहा कि उन्हें पुलिस को सच बताने के दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। जिन लोगों ने ‘भर्ती’ की शुरुआत की थी, वे भाग गए हैं, लेकिन पुलिस ने उनके कुछ रिश्तेदारों को हिरासत में लिया है। अन्य ग्रामीणों की ओर से जबरदस्त दबाव है, जो इसके लिए पीड़ितों को दोषी ठहराते हैं।

सक्ती की एसपी अंकिता शर्मा ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को बताया कि आठ संदिग्धों की पहचान कर ली गई है और दो को गिरफ्तार कर लिया गया है। रैकेट के सरगना, जिन्होंने खुद को रेखा साहू, मंदिर दास और पंकज बताया, गायब हो गए हैं। पुलिस को संदेह है कि वे एक व्यापक अंतर-राज्यीय गिरोह का हिस्सा हैं, जो इस तरह के घोटाले करते हैं और भाग जाते हैं।

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