वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव
भाजपा, भाजपा, भाजपा। बेचारी भाजपा। भाई बड़े असमंजस में है भाजपा। हमेशा रमनसिंह का नाम जपा और जीता। जैसे भी हो, जीत तो गये न, चाहे सैटिंग से ही सही। इस तरह काठ की हाण्डी दो बार चढ़ गयी। क्योंकि पहली बार तो तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी से नाराजगी के कारण जीती, बाकी के दो बार को ‘काठ की हाण्डी’ कहा जा सकता है।
दूसरी बार स्व विद्याचरणजी के कारण और तीसरी बार स्व अजीत जोगी जीत का कारण बने।
क्यांेकि भाजपा यानि डाॅ रमनसिंह के शासन से जनता बहुत खुश थी ये नहीं कहा जा सकता। खैर… तो मैनेजमेन्ट से तीन बार जीत गयी भाजपा।
तीन तिगाड़ा… काम बिगाड़ा। तो तीन के बाद काम बिगड़ गया और भाजपा विपक्ष में आ गयी। और अब जब चुनाव का समय आ गया है तो अब मुद्दा भी नहीं है। जो स्थायी मुद्दे थे वो भूपेश बघेल ने हथिया लिये।
फिर भाजपा में असफल नेताओं को किनारे करने की पीपड़ी बजी, बजती रही, बजती रही। और बोला गया कि किसी चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। केवल मोदीजी के नाम पर रण होगा।
मुद्दों का अकाल
बेईमानी मुद्दा नहीं रहा
लेकिन चूंकि इस बार सारा घालमेल हो गया। दरअसल जो भाजपा के स्थायी मुद्दे थे, भूपेश बघेल ने हथिया लिये। जो कांग्रेस भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा रही थी आज भगवान राम के चरणों में लोटपोट होती दिख रही है।
गाय माता की खैरख्वाह जितनी भाजपा थी उससे अधिक काम ये कांग्रेस की सरकार करती दिख रही है। दिख रही है, सार्थक कितना हो रहा है ये अलग मामला है। क्योंकि इसमें भाजपा भ्रष्टाचार का अरोप लगा रही है। लेकिन ये तो मानना पड़ेगा कि ये भाजपा का हथियार था जो अब कांग्रेस के पास आ गया है।
अब भाजपा के पास बोलने को क्या रहा ? दूसरी तरफ कांग्रेस अपने किये कामों को ढिंढोरा पीटती नजर आ रही है। कांग्रेस सरकार ने जो काम किये और जो गिनवाए उससे मजबूरन भाजपा को भी इसी मुद्दे का यानि अपने किये कामों का सहारा लेना पड़ रहा है। और जब अपने काम गिनवा रही है तो भाजपा को भी जवाब में अपने काम गिनवाने की नौबत आ गयी। भाजपा ये साबित करना चाहती है कि उसने प्रदेश में बहुत सारे काम किये। जो कांग्रेस के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं।
भाजपा को दिखाना है कि
उसने काम अधिक किया
महत्वपूर्ण ये है कि लोग काले धन को, रिश्वत खोरी को सहज लेने लगे हैं ंऔर बेईमानों को अंदर करने की केन्द्र सरकार की मुहिम को भाजपा की सियासी चाल मानने लगे हैं। तो अब भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नही ंरहा।
अब अपने को सही साबित करने के लिये भाजपा के पास अपने किये काम ही बचे हैं।
प्रश्न ये है कि ये काम कब हुए किसने किये। जवाब है ‘भाजपा के शासन काल में हुए, रमन सिंह ने करवाए’। यानि फिर से रमनसिंह।
जिस चेहरे को किनारे किया जा रहा था मजबूरन उसे ही सामने लाना पड़ा है।
एक बार चर्चा ये हो रही थी कि रमनसिंह को केंद्र में एडजेस्ट किया जाएगा और प्रदेश में नया चेहरा लाया जाएगा लेकिन कदाचित् ऐसा कर नहीं पाई भाजपा। यानि रमनसिंह वापस आ गये। ऐसे में यदि भाजपा जीत जाती है तो फिर कौन बनेगा मुख्यमंत्री……. ? समझ जाईये।
पुराने ढर्रे पर भाजपा
कुल मिलाकर नये चेहरे, नये चेहरे, गुजरात माॅडल रटते-रटते भाजपा कोई चमत्कार करेगी ऐसा लगने लगा था लेकिन ये फार्मूला भाजपा को कुछ जमा नहीं। किसी भी सूत्र में कहीं भी भाजपा को कोई राह नजर नहीं आ रही तो फिर से पुराने ढर्रे पर आ गयी है।
मजेदार बात ये है कि अब उन वरिष्ठजनों को तो बेहद खलने लगा है जो उम्मीद से थे कि उनका नंबर भी लग सकता है। भाजपा के जानकारों का कहना है कि अपने आप ही रमनसिंह का नाम सामने आ रहा है। परिस्थितियां ही ऐसी बन गयी हैं।