
सनातन संस्कृति में धारणा यही रही है कि पूत भले ही कपूत हो लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती। इसीलिए तो मां की सेवा को स्वर्ग से भी बड़ा सुख माना जाता है। हिंदी सिनेमा में मां के त्याग और बलिदान पर आधारित कई फिल्में बनी है। आज मदर्स डे पर आइए जानते हैं ऐसी 10 फिल्मों के बारे में, जिनमें मां के किरदार ने कहानी के उत्प्रेरक के रूप में काम किया..
फिल्म : मदर इंडिया
कलाकार: नरगिस
किरदार: राधा
निर्माता, निर्देशक महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ उन चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जिनकी चर्चा भारतीय फिल्मों के इतिहास में हमेशा होती रहेगी। इस फिल्म में राधा की भूमिका नरगिस ने निभाई जो अपने दो बेटों की परवरिश गरीबी और तमाम विपरीत परिस्थितियों में अकेली करती है। तमाम चुनौतियों के बावजूद राधा का अपने बच्चों के प्रति प्यार और समर्पण अटूट है। लेकिन जब राधा का एक बेटा बिरजू गलत रास्ते पर निकल पड़ता है तो राधा उसे गोली मार देती है। एक मां के त्याग और न्याय की जो इस फिल्म में मिसाल पेश की गई वह अद्भुत थी। यह फिल्म भारत की ओर से पहली बार अकादमी पुरस्कारों के लिए भेजी गई।
फिल्म: करण अर्जुन
कलाकार: राखी गुलजार
किरदार: दुर्गा सिंह
फिल्म ‘करण अर्जुन’ में राखी गुलजार ने दुर्गा सिंह का किरदार निभाया। दुर्गा अपने जीवन में बहुत परेशानियों से गुजरी है। पतिऔर दोनो बेटे करण अर्जुन को खोने के बाद उसे इस बात का विश्वास है कि मेरे करण अर्जुन आएंगे। यह फिल्म एक मां एक की इच्छाशक्ति और अटूट विश्वास आधारित है। दुर्गा सिंह का मानना है कि उसके करण अर्जुन आएंगे और अपने दुश्मनों का संहार करेंगे। राकेश रोशन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरुख खान और सलमान खान ने राखी गुलजार के बेटों का किरदार निभाया था।
फिल्म: कभी खुशी कभी गम 2001
कलाकार: जया बच्चन
किरदार: नंदिनी रायचंद्र
करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में जया बच्चन ने नंदिनी रायचंद्र की भूमिका निभाई है। नंदिनी अपने पति यशवर्धन रायचंद के साथ- साथ अपने दोनों बेटे राहुल और रोहन को भी बहुत प्यार करती है। पिता -पुत्र के बीच दूरियां खत्म करके नंदिनी परिवार को एक साथ फिर से जोड़ने की कोशिश करती है। फिल्म में यशवर्धन रायचंद की भूमिका अमिताभ बच्चन,राहुल की भूमिका शाहरुख खान और रोहन की भूमिका ऋतिक रोशन ने निभाई थी।
फिल्म: कल हो ना हो (2003)
कलाकार: जया बच्चन
किरदार: जेनिफर कपूर
निर्देशक निखिल आडवाणी की फिल्म ‘कल हो ना हो’ में जया बच्चन ने जेनिफर कपूर का किरदार निभाया। अपने पति की मौत के बाद जेनिफर न केवल अपने बच्चो को अपने दम पर पालती है, बल्कि अपनी सौतेली बेटी को भी स्वीकार कर लेती है। और, उसकी परवरिश अपने सगे बच्चों की तरह करती है। जेनिफर की भूमिका के लिए पहले नीतू सिंह से संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद जया बच्चन से इस भूमिका के लिए संपर्क किया गया।
फिल्म: पा
कलाकार: विद्या बालन
किरदार: डॉ विद्या भारद्वाज
निर्देशक आर बाल्की की फिल्म ‘पा’ में विद्या बालन ने अमिताभ बच्चन की मां डॉ विद्या भारद्वाज की भूमिका निभाई है। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में प्रोजेरिया नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित 12 वर्षीय ऑरो का किरदार निभाया था। इस फिल्म में विद्या बालन ने मजबूत इरादों वाली दृढनिश्चयी मां का किरदार निभाया जो अपने बेटे के लिए हमेशा खड़ी रहती है।
फिल्म: खूबसूरत
कलाकार: रत्ना शाह पाठक
किरदार: निर्मला देवी राठौर
फिल्म ‘खूबसूरत’ में रत्ना शाह पाठक ने राठौर परिवार की कुल माता निर्मला देवी राठौर का किरदार निभाया था जो बेहद सख्त है। वह शाही वंश की प्रतिष्ठा को बरकरार रखने के लिए किसी भी तरह के समझौते के खिलाफ है। इसलिए वह डॉ मिली चक्रवर्ती को पसंद नहीं करती, जो उसके ही लकवाग्रस्त पति का इलाज कर रही है। धीरे- धीरे निर्मला देवी राठौर के ऊपर डॉ मिली चक्रवर्ती के सकारात्मक व्यवहार का असर पड़ता है और वह अपने बेटे विक्रम की शादी डॉक्टर मिली से करने के लिए तैयार होती है। शशांक घोष के निर्देशन में बनी इस फिल्म में डॉक्टर मिली का किरदार सोनम कपूर और विक्रम का किरदार फवाद खान ने निभाया था।
फिल्म: नीरजा
कलाकार: शबाना आजमी
किरदार: रमा भनोट
निर्देशक राम माधवानी की फिल्म ‘नीरजा’ में शबाना आजमी ने रमा भनोट का किरदार निभाया है। रमा भनोट को अपनी बेटी नीरजा भनोट की उपलब्धियों पर गर्व है। रमा ने हमेशा अपनी बेटी को आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित किया है। वह अपनी बेटी को हमेशा साहस और जोखिम लेने, बाधाओ पर काबू पाने की प्रेरणा देती है। नीरजा जब यात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी जान दे दी, तो रमा को इस बात का गर्व होता है। इस फिल्म में नीरजा भनोट की भूमिका सोनम कपूर ने निभाई थी।
कलाकार: श्रीदेवी
किरदार: देवकी
दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी ने फिल्म ‘मॉम’ में जीव विज्ञान की शिक्षिका देवकी का किरदार निभाया था। देवकी की दो बेटियां हैं, जिसके प्रति उसका अटूट प्रेम है। देवकी अपनी नाराज सौतेली बेटी आर्या के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाने की कोशिश कर रही है। इसी दौरान कुछ लड़के आर्या का बलात्कार करके मृत छोड़ देते हैं। देवकी को जब न्याय नहीं मिलता है, तब एक प्राइवेट जासूस के जरिए अपराधियों को ढूंढकर खुद ही उसे सजा देती है। इस फिल्म का निर्माण बोनी कपूर ने खुद किया था।