वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…
बस्तर के 12, दुर्ग के 8 चुने जाएंगे 7 को बाकी 70, 17 को। इसमें कितने कांग्रेस के होंगे कितने भाजपा के ये 3 दिसंबर बताएगा। और उसी दिन पता चलेगा के कौन होगा सत्तासीन। यानि 7 नवंबर को 20 विधायकों के लिये और 17 को 70 विधायको के लिये मतदान होगा।
बहुत सी सीटों पर बेहद दिलचस्प चुनाव होने हैंे। जिनमें से एक रायपुर उत्तर की सीट भी है। जहां कांग्रेस से पहले से विधायक रहे कुलदीप जुनेजा और भाजपा से नये नेता पुरंदर मिश्रा डटे हैं। ये तो हुई सामन्य खबर।
दिलचस्प ये है कि यहां से दमदार भाजपा नेत्री सावित्री जगत ने भी निर्दलीय पर्चा भरा है और कांग्रेस के दमदार नेता अजीत कुकरेजा ने भी। दोनों ही अपने-अपने वर्ग में अच्छी पकड़ रखते हैं। लगता है भाजपा प्रत्याशी को सावित्री करंेगी डैमेज और कांग्रेस के प्रत्याशी को अजीत।
पिछले लंबे समय से अजीत कुकरेजा की नजर इस सीट पर थी।जहां उनकी पकड़ अन्य समाजों के वोटर्स पर है वहीं सिंधी समाज के वोटरों की संख्या भी यहां पर अधिक है।
हालांकि सिंधी समाज आमतौर पर भाजपा का वोट बैंक समझा जाता है। लेकिन इस बार भाजपा ने सिंधी समाज को एक भी टिकट न देकर समाज की नाराजगी मोल ली है। ऐसे में रायपुर उत्तर का सिंधी मतदाता सहज रूप से ही सिंधी प्रत्याशी अजीत कुकरेजा की ओर आकर्षित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
इसके अलावा कुकरेजा को राजनीति विरासत में मिली है इनके पिता आनंद कुकरेजा भी कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं। कहा जा सकता है कि राजनीति के सारे दांव-पेंच इन्हें आते हैं। इसलिये कुकरेजा चुनाव को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
इसी तरह सावित्री जगत की भी अपने क्षेत्र में पकड़ है लेकिन इस सीट पर उनसे कहीं अधिक वरिष्ठ नेता हैं जो टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में उनका दावा जायज नहीं कहा जा सकता। लिहाजा उनकी नाराजगी गैरवाजिब है।
लेकिन अब जब वे डट ही गयी हैं तो उत्कल समाज के वोटों में भी संेध मारेंगी। जिसका सीधा असर भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा पर पड़ेगा।
लेकिन अब जब वे डट ही गयी हैं तो उत्कल समाज के वोटों में भी संेध मारेंगी। जिसका सीधा असर भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा पर पड़ेगा।