तिल्दा नेवरा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में जिन पार्षदों ने अपने आप को बेचकर तिल्दा नगर पालिका में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था..अब वही पार्षद भाजपा के प्रत्याशी को जीतने के लिए घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं या फिर यह कहा जाए की पार्टी ने उन बिकने वाले पार्षदों को भाजपा प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी दे दी है।ऐसे पार्षदों को पार्टी का प्रचार करते देख शहर के मतदाता हैरान है.. वे तो यहां तक कहने लगे हैं कि जो पैसे के लिए अपने आप को बेच देते हैं वे पार्टी के प्रति कैसे वफादार हो सकते हैं..।
चुनाव चाहे नगर पालिका के हो या विधानसभा और लोकसभा के यहां भाजपा को हमेशा लीड मिलती रही है ,लेकिन पिछले 10 सालों से परिस्थितियाँ बदल गई है.. और विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी निकटतम प्रतिद्वंद्वी से पीछे हो जाते हैं. दरअसल चुनाव की कमान ऐसे लोगों को सौंप दी जाती है जो कभी पार्टी के प्रति वफादार रहे ही नहीं.उनका एक ही मकसद दोनों हाथों से पैसा बटोरने का ही रहा है..।ऐसा नहीं की यहां के बिकने वाले पार्षदों की जानकारी संगठन में बैठे पदाधिकारियों नहीं है..।उन्हें भी सारी जानकारी है,बावजूद ऐसे भीतर घातियों को चुनाव की कमान सौप दी गई है। मजेदार बात तो यह है कि जो बलौदाबाजार विधान सभा से भाजपा ने जिसे अपना प्रत्याशी बनाया है.वह स्वयं रायपुर जिले का ग्रामीण अध्यक्ष है.. और उन्हें भी यह सारी जानकारी है कि कौन कितना पार्टी के लिए समर्पित है..और पार्टी के लिए वो कितना काम करता है..सगठन में बैठे पदाधिकारियो को यह भी मालूम है कि किस पार्षद ने पार्टी के अधिक्रत प्रत्याशी के खिलाफ वोट कर कांग्रेस प्रत्याशी जिताया है..। बावजूद उन पर करवाई न कर उन्ही के हाथो भाजपा प्रत्याशी को जितने कि जिम्मेदारी सौप दी ..अब देखना यह है कि बाजार में सामानों की तरह बिकने वाले भाजपा के तथा कथित ये नेता पार्टी प्रत्याशी के लिए भस्मासुर साबित होते हैं ..? या फिर जीताउ नेता बनकर सामने आते हैं..।