संदल, चादर में भी किया गया बैन
रायपुर। रायपुर के मुस्लिम समाज की बैठक 17 जनवरी को हुई और इस दौरान 40 मस्जिदों के इमाम, मौलाना व विभिन्न कमेटियों के सदस्य शामिल हुए, उन्होंने एक स्वर में निर्णय लिया कि अब वे ऐसी किसी भी शादी समारोह में शामिल नहीं होंगे जहां पर डीजे व आतिशबाजी होगी और न ही कोई मौलावी निकाह पढ़ाने जाएंगे। इसके अलावा शहर में समय – समय पर निकलने वाले संदल और चादर में डीजे और आतिशबाजी पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए काजी इमरान अशरफी, हाजी अब्दुल हमीद, नौमान अकरम हामिद व मौलाना मोहम्मद अली ने बताया कि 17 जनवरी को जो बैठक हुई उसमें शहर काजी एवं दूसरे इमामों ने समाज में होने वाली खराबियों को इंगित किया और युवाओं से यह अपील की कि वे गलत राह पर न चलें। आतिशबाजी एवं बाजा इस्लाम में मना है साथ ही इसके उपयोग से वायुप्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं यातायात व्यवस्था बाधित होती है जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी बहुत खराब है। इन चीजों का उपयोग न सिर्फ धार्मिक अपितु सामाजिक रुप से भी निंदनीय है। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम समाज के युवाओं से अपील की कि वे ऐसे काम करें जिससे समाज में किसी प्रकार की अशांति न फैले एवं राज्य व देश में अमन एवं शांति का माहौल बना रहे।
नौमान अकरम ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मुस्लिम समाज के वैवाहिक कार्यक्रमों एवं दूसरे कार्यक्रमों में होने वाली कुरीतियों एवं बुराईयों को रोकने के लिए मुस्लिम समाज सख्त कदम उठाएगा। जिसमें शादी समारोह, संदल, चादर में बैंड बाजा, डीजे, आतिशबाजी आदि का बहिष्कार किया जाएगा। उपस्थित सभी इमामों ने एक स्वर से यह तय किया कि ऐसे किसी भी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे जहां बाजा एवं आतिशबाजी का उपयोग किया जाएगा। साथ ही बाहर से आए हुए मौलवी को भी निकाह पढ़ाने नहीं दिया जाएगा। उपस्थित सभी सदस्यों ने समर्थन देते हु़ए कहा कि अगर इमाम निकाह पढ़ाएंगे तो हम आम नागरिक ऐसे किसी भी शादियों में खाने का बहिष्कार भी करेंगे। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि अगर यह पता चलता है कि किसी के घर में बाजे इत्यादि का प्रयोग हो रहा है तो उसको शहर की कमेटी जाकर समझाएगी तथा ऐसा नहीं करने के लिए निवेदन करेगी।