रायपुर विकास प्राधिकरण के पदाधिकारियों ने कहा – सुभाष धुप्पड की टीम आरडीए को कर देगी कर्ज मुक्त
रायपुर। रायपुर विकास प्राधिकरण के पदाधिकारियों ने भाजपा नेता राजेश मूणत और संजय श्रीवास्तव व्दारा कमल विहार का नाम कौशल्या विहार किए जाने पर की गई टिप्पणी पर कहा है कि भाजपा शासन कार्यकाल में आवास एवं पर्यावरण मंत्री और आरडीए के अध्यक्ष रहते इन दोनों ने आरडीए को 800 करोड़ रुपए के कर्ज में डुबाते हुए आरडीए का भ_ा बैठा दिया था। भाजपा के शासनकाल में जहां आरडीए में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए थे। वहीं आज कांग्रेस के समय पर वेतन समय पर मिल रहा है तथा सभी निर्माण कार्य समय पर हो रहें है। संजय श्रीवास्तव ने बिना सोचे समझे गलत फाइनेंशियल प्लानिंग कर कमल विहार में बड़ा कर्ज लिया। लेकिन आज वर्तमान में सुभाष धुप्पड की टीम के प्रयासों से प्राधिकरण कर्ज मुक्त की ओर बढ़ रहा है। आरडीए ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और हड़को का ऋण पूरी तरह चुका दिया जाएगा है। अब कुछ महीनों मे सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया का कर्ज भी उतर जाएगा। प्राधिकरण में वित्तीय स्थिति में सुधार तथा समय पर हो रहे कार्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के सफल नेतृत्व और आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन के कारण हो रहा है।
पहले के कांग्रेस के शासन के दौर में रायपुर विकास प्राधिकरण लाभ की संस्था थी। यहां करोड़ों रुपया फिक्स डिपाजिट होता था। आवासीय योजनाओं के लिए हड़को को छोड़ कर बैंकों से कभी भी कर्ज लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी। लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार और लूट खसोट को बढ़ावा दिया और करोड़ों रुपए का ऋण ले कर आरडीए जैसी लाभकारी संस्था को पूरी तरह से डुबाने की कोशिश की गई। संजय श्रीवास्तव ने आरडीए अध्यक्ष रहने के दौरान कमल विहार में बसाहट के पहले ही सोलर लाईटें लगावाई। अब ये लाईटें किसी काम की नहीं रह गई है। जबकि बसाहट के बाद इसे लगाना था। यह इनकी घटिया प्लानिंग को दर्शाता है।
आरडीए पदाधिकारियों ने कहा राजेश मूणत और संजय श्रीवास्तव जैसे नेताओं ने रायपुर के नागरिकों पर कमल विहार और इन्द्रप्रस्थ जैसी योजनाओं में प्लाटों के मामलों में अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला है। कमल विहार के प्लाट जो सस्ते में बेचे जा सकते थे उसमें काफी मंहगी अधोसंरचना बना कर प्लाटों को महंगा कर बेचा गया। राजेश मूणत ने कमल विहार में राज्य सरकार की ओर से बनाई जाने वाली एम.आर.रोड के लिए राशि नहीं दी। एम.आर.रोड का पूरा भार आम जनता पर पड़ा। इस कारण प्लाट महंगे हुए। एक ओर जहां बुनियादी रुप से कमल विहार के अधोसंरचना विकास के कार्यों पर राशि खर्च करना था वहां संजय श्रीवास्तव ने आरडीए पर करोड़ों रुपए का कर्ज चढ़ा कर बोरियातालाब की मिट्टी खुदवाने में पैसा खर्च किया। कमल विहार की लेआऊट प्लॉनिंग में इतने बड़े -बड़े प्लॉट बनाए जो बिक नहीं रहे थे। ऐसे बड़े प्लाटों के लिए कोई खऱीददार नहीं मिल रहा था।अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ और उनकी की वर्तमान संचालक मंडल ने कमल विहार में बड़े प्लाटों को मांग के अनुसार छोटा कर उसका विक्रय किया है तब से आरडीए की आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरु हुआ।