Tuesday, February 11, 2025
Homeछत्तीसगढ़सिंहदेव के भाजपा से मधुर संबंध, संजय श्रीवास्तव की मोहल्ले से यारी,...

सिंहदेव के भाजपा से मधुर संबंध, संजय श्रीवास्तव की मोहल्ले से यारी, क्या जुनेजा पे मिश्रा पड़ेंगे भारी,श्रीचंद सुंदरानी ने क्यों गवांई सीट

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी…

टीएस सिंहदेव के मुकाबले में भाजपा किसे उतारेगी ये ज्वलंत प्रश्न है। सारे लोगों की नजरेें इस सीट पर टिकी हैं। इस हाईप्रोफाईल सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है जबकि सरगुजा की 14 सीटों में से 13 सीटों पर योद्धा उतारे जा चुके हैं।

भाजपा धैर्य से बैठी है और यहां पर भाजपा द्वारा कोई नयी रणनीति आजमाने का अहसास हो रहा है।

ये बात भी सर्वविदित है कि कांग्रेसी उपमुख्यमंत्री सिंहदेव के भाजपा से संबंध खराब नहीं है। यदा-कदा भाजपा नेताओं ने सिंहदेव से सहानुभूति दिखाई है और कई मौकों पर सिंहदेव ने केंद्र सरकार की खुलकर तारीफ भी की है।
सिंहदेव का अपना कद है उन्हें हार का डर नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी लड़ाई को भाजपा आराम दायक बनाना चाहती है ?

भावनाओं को समझकर काम करेंगे समर्थक

एक दिलचस्प वाकया कुछ इस तरह हुआ कि सिंहदेव के एक समर्थक रईस व्यापारी जो हर बार हर चुनाव में उनके लिये जीजान से लगता है, ने कहा कि यदि उन्हें सम्मान नहीं दिया गया तो हम लोग बगावत कर देंगे।

जब ये पूछा गया कि सम्मान कैसा, तो वे बोले एक तो उनके विरोधी विधायकों को जो उनके खिलाफ मुखर रहे, मैदान से बाहर जाए और दूसरा उनके जो अपने लोग हैं उन्हें टिकट दी जाए अगर ऐसा नहीं होता तो राजा साहब चाहे कुछ कहें या न कहें, हमारी पूरी टीम न सिर्फ घर बैठ जाएगी बल्कि संभव होगा तो कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के लिये सारे जतन करेगी।

वैसे ये कोई नयी बात नहीं है। ऐसा तो राजनीति में होता ही रहता है। बाॅस खुद चाहे कुछ न कहें लेकिन समर्थकों को बाॅस की नाराजगी और उपेक्षा से उपजा दर्द समझ में आ जाता है और वे उसी तरह काम करते हैं।

टीएस सिंहदेव के समर्थको को भी यदि टिकट देने में कांग्रेस हाईकमान ने सिहंदेव की उपेक्षा की, उनके विरोधियों को अधिक तवज्जो दी गयी तो क्या वे लीक से कुछ अलग करेंगे, ये प्रश्न जरूर खड़ा होता है।

पुरिंदर की टिकट के लिये
कुलदीप ने जैक लगाया

पुरिंदर मिश्रा यानि रायपुर उत्तर विधानसभा के भाजपा के प्रत्याशी। पुरिंदर मिश्रा यानि एडव्होकेट और नेता, जिनका बसना में अधिक प्रभाव है। चर्चा है कि वे बसना से लड़ना चाहते थे लेकिन टिकट दे दिया गया रायपुर से। वो भी उत्तर से। कहा गया कि यहां पर उड़िया वोट अधिक हैं इसीलिये उन्हें यहां से टिकट दिया गया है।

बात में दम तो है लेकिन पहले से जनप्रिय विधायक जुनेजा की पकड़ उड़िया समाज में नहीं होगी ये कहना खुद को धोखा देना होगा। फिर एकाएक बाहर से आए प्रत्याशी को भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम पसंद करेगी इसमें संशय है।

क्या इस बहाने जुनेजा का समर आसान किया गया है। हालांकि भाजपा के लिये एक-एक सीट कीमती है। उसे सरकार से बाहर रहना बेहद कचोट रहा है। फिर भी जानबूझकर जुनेजा के सामने कमजोर कैण्डिडेट उतारा गया है इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

हालांकि इस क्षेत्र में भाजपा के कई धाकड़ नेता मौजूद हैं। मसलन संजय श्रीवास्तव का नाम लिया जा सकता है। हर त्यौहार पर वे क्षेत्र में सम्मेलन करते रहे हैं और वोटर्स के सतत् सम्पर्क में रहे हैं। किसी की भी परेशानी में भिड़ते है। हील-हवाला नहीं करते।

 इनके अलावा भी ऐसे कई नाम हैं जो निस्संदेह पुरिंदर मिश्रा के मुकाबले ज्यादा ताकतवर होते।
एक बात और महत्वपूर्ण है कि वोटर्स की मानसिकता बदल गयी है। वोटर आमतौर पर लकीर के फकीर नहीं रहे। यदि ऐसा होता तो पिछली बार श्रीचंद सुंदरानी यहां से हारते नहीं। जबकि वे यहीं से विधायक थे।
वोटर देख-परख कर अपने बीच उपलब्ध, सुख-दुख के वास्तविक साथी को वोट करने लगा है। आम बोलचाल में पैराशूट प्रत्यशी को नकारने की मानसिकता चलन में आ गयी है।

क्या ऐसा भी हो सकता है कि मिश्राजी को टिकट दिलाने में कांग्रेस के विधायक कुलदीप जुनेजा ने भाजपा में जैक लगाया हो? जनता के साथ-साथ जुनेजा के संबंध भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं से बेहद मधुर हैं।

क्यांकि जैसे ही पुरिंदर मिश्रा की टिकट कन्फर्म हुई, कुलदीप जुनेजा के खेमें मे खुशी दौड़ गयी। उन्हें बधाईयां मिलने लगीं। अपन को तो समझ है नहीं राजनीति की, आपको कुछ समझ में आया क्या ?
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments