इंदर कोटवानी ..
तिल्दा शहर किसी न किसी बात को लेकर सुर्खियां बटोरते रहता है. इन इन दोनों यह शहर तापमान को लेकर सुर्खियों में है.. मौसम वैज्ञानिक विभाग की माने तो इस शहर का तापमान अन्य शहरों की अपेक्षा काफी ज्यादा है।छत्तीसगढ़ में मानसून पर ब्रेक लगने के बाद प्रदेश का तापमान लगातार बढ़ रहा है.. छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिलों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री है वही राजधानी रायपुर जिले में अधिकतम तापमान 35.02 डिग्री और अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री पर रहा .लेकिन रायपुर जिले का तिल्दा पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्म रहा. यहां का तापमान 38 डिग्री रिकार्ड किया गया है..।
एक समय था जब तिल्दा नेवरा की ठंडी हवाओं की चर्चा न केवंल प्रदेश में बल्कि देश और विदेशों में भी होती थी.. पूरा क्षेत्र हारे भरे पेड़ पौधों से भरा हुआ था, यहां का बिलाड़ी सरोरा और मोहरेगा जंगल की चर्चा भी काफी दूर-दूर तक होती थी… चुकि इन जंगलों में शेर,भालू, हिरण जैसे खूंखार जंगली जानवर बड़ी संख्या में देखे जाते थे.. शाम के बाद तिल्दा से मात्र 1 किमी दूरी पर स्थित तुलसी नेवरा जाने के लिए लोग आने-जाने में डरते थे..| इसी तरह शहर से 5 किलोमीटर दूर बिलाडी और सरोरा जंगल से दिन को भी अकेले आने-जाने में लोग थरथराते थे ..।
जंगल और शुद्ध हवा को देखते हुए अंग्रेजों ने तिल्दा में छावनी स्थापित की गई थी. इस दौरान घूमने आए अंग्रेजों की नजर सासाहोली के लगभग 100 एकड़ पर खाली पड़े मैदान पर पड़ी और बाद में वहां मिशन अस्पताल का निर्माण कराया गया जो मिशन अस्पताल आज भी संचालित है..लोग बताते हैं कि मिशन अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीज दवा से ज्यादा यहां की शुद्ध हवा से ठीक हो जाते थे।कई लोग तो मिशन अस्पताल इलाज कराने के बाद ठीक हो जाने पर यहीं पर अपना घर बना लिया. और यही के रहवासी बन गए..। धीरे-धीरे समय बदला और लोगों ने जंगलों को उजाड़ना शुरू किया पांच दशक पहले 1975 में तिल्दा से लगे बहेसर गांव के पास मुंबई-हावड़ा एल मार्ग के किनारे सेंचुरी सीमेंट संयंत्र का निर्माण बिडला ग्रुप द्वारा कराया गया .. क्षेत्र में पेड़ पौधों की संख्या को देख सेंचुरी सीमेंट ने भी लाखों पेड़ पौधे लगाए आज भी सेंचुरी सीमेंट संयंत्र चारों तरफ पेड़ों से घिरा हुआ है.। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे और भी कारखाने स्थापित होने शुरू हो गाए.लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद क्षेत्र में कारखाने लगने की बाढ़ सी आ गई. जमीनों के दाम हजारों से बढ़कर करोड़ों में पहुंच गए..जमीन खरीदी के बाद लोगों ने हरे भरे पेड़ों को काटकर हरियाली को पूरी तरह से खत्म कर दिया।
आज हालात यह है कि पेड़ पौधों वहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे खड़ी कर दी गई है. हवा भी पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है परिणाम यह है कि आज पूरे प्रदेश में तापमान के नाम पर तिल्दा क्षेत्र सुर्खियों में है। जो क्षेत्र तीन दशक पहले तक खुश्क और ठंडा माना जाता था. आज लगातार बढ़ रहे तापमान से लोग हलकान और परेशान है जिस तेजी के साथ यहां कारखाने स्थापित हो रहे हैं,और यही स्थिति रही तो तिल्दा का क्षेत्र का तापमान ना केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश मैं सबसे अ में धिक होगा